यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 7 जुलाई 2022

तुम्हें चाहना है करम

तुम्हें   चाहना  है   करम

अपना    बनाया    धरम

कहने की कोशिश भी की

आड़े       आयी     शरम

 

मन   अब    आवारा   है

थोड़ा      बेचारा       है

लगता   मेरे    प्रेम   का 

गर्दिश      सितारा     है

 

सब     कुछ   गँवारा  है

ये   दिल     तुम्हारा  है

दिन   आयेगा    अपना

दिल  का     इशारा  है

 

प्यार   ही    सहारा  है

उलझा     किनारा   है

सुलझाएंगे     खुद   ही

मामला    हमारा    है

 

पवन तिवारी

०८/०२/२०२२     

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