यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 9 जून 2022

प्रेम की तलाश में

प्रेम  की  तलाश  में  गँवा  दी  उम्र  आस  में

दिवस तो भटकनों में था थकान पूरी रात में

मैंने देखा  प्रेम  में कि हर्ष से अधिक विशाद

प्रेम  में  छले  हुए  भी   प्रेम  की  तलाश  में

 

प्रेम  एक  माया  है  कला  है  या कि हर्ष है

इसको  समझने  में  लगा  कई – कई वर्ष है

क्षेत्रफल में जो भी इसकी आता है माया के

उसको  लगे  जीवन  का  प्रेम ही उत्कर्ष है

 

सब कुछ समझ कर भी कुछ ना समझते हैं

लोग  प्रेम  जाल  में  हँसते  हुए  फँसते  हैं

इसने   देवर्षि   ब्रह्मर्षि   को   छल  लिया

लोग इसकी बस्ती में खुद ही आ के बसते हैं

 

आरम्भ   में   हर्ष  आगे     फिर   प्रताड़ना

अनचाही  बातों  को  इक  तरफा   मानना

और फिर विवाद और दूरियों का बढ़ जाना

होता  भयंकर  विशाद   से   फिर  सामना

 

पवन तिवारी

१४/०८/२०२१  

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