यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 25 जून 2022

केले का पात झूमे

केले   का   पात   झूमे

फागुन  सी  रात  झूमे

तुम्हरे  मिल  जाने  से

अधरों संग  बात झूमे

 

फूलों  के   गाल  चूमे

दिल की बारात झूमें

दिल की हर धड़कन हँसती

भौंरों सा इत उत झूमे

 

कानों  में   कोयल  कूके

दिल ने धड़कन को छूके

कुछ  ऐसे  हरसाया  है

जैसे  कोई   जादू  फूँके

 

तुम्हरे  सपने   में  डूबे

सारी  दुनिया  से ऊबे

ऐसा  लगता   है  मेरे

खुशियों  के  सारे सूबे

 

पवन तिवारी

२५/०९/२०२१  

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