यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 4 मई 2022

पुरुष गद्य है कविता नारी

पुरुष गद्य है कविता नारी

उसमें भी  कर्षण है भारी

इसीलिये सबके अधरों पे

कविता झूमें बारी  बारी

 

जो  भी  लेखन  में   आता  है

पास वो कविता के  जाता है

कथा कहानी याद है किसको

पहले  कविता  को  गाता है

 

कविता का सौन्दर्य  अलग है

गद्य कथानक अलग-थलग है

सर्वाधिक हैं  कवि  सम्मेलन

उसमें  झूमें   संग  अलक  है

 

किन्तु कहीं जब बड़ी लड़ाई

बात बहस औ तर्क की आयी

गद्य वहाँ  पर  खड़ा हुआ है

उसने है तब  लाज   बचाई 

 

दोनों  का  अपना  महत्त्व  है

आकर्षण कविता का सत्व है

गद्य का भी  माथा  ऊँचा है

उपन्यास  का  भी घनत्व है

 

पवन तिवारी

२५/०४/२०२१    

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