यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 4 मई 2022

मेरा आना यहाँ ना अनायास है

मेरा  आना   यहाँ   ना   अनायास है

वैरियों को भी प्रतिभा का आभास है

शिल्प वे ले गये मुझको  दुःख है नहीं  

पर कथा का  कथानक  मेरे  पास है

 

कितने दशकों से मैं शब्द चुनता रहा

धीरे धीरे सही  उनको  बुनता  रहा

अब कहानी की चादर झलकने लगी

इससे पहले तलक सबको सुनता रहा

 

जब लगे लोग  केवल  प्रसिद्धि में थे

अनवरत कुछ लगे मात्र रिद्धि में थे

और हम  ब्रह्म  की  साधना में लगे

सिद्ध हो जाये वे उनकी सिद्धि में थे

 

ये प्रशंसा  मेरे  हिस्से  अब आयी है

पहले उपहास निंदा सहज आयी है

पथ था लम्बा था दुर्गम डिगा पर नहीं

इसलिए  सार्थकता  स्वयं आयी है

 

पवन तिवारी

२४/०४/२०२१     

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