यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 4 सितंबर 2016

जो गीत गाता गुनगुनाता हूँ.


















जो गीत गाता गुनगुनाता हूँ.
वो नगमा आप को सुनाता हूँ.


ख़्वाब देखे जो खुली आखों से,
वो किस्सा आप को सुनाता हूँ.


सामने दुश्मन हुआ है हाज़िर,
गोलियाँ उसपे मैं बरसाता हूँ.


मेरे सीने में लगी है गोली,
और रंग दे बसंती गाता हूँ.


सीने के बल लेटकर गोलियां चलाता हूँ.
दुश्मन के फौज की मैं धज्जियाँ उड़ाता हूँ.


आख़िरी साँस मुँह को आई है.
और वन्देमातरम गाता हूँ . 

सम्पर्क -7718080978
poetpawan50@mail.com

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