यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 5 मई 2022

तुम जमाने की बात करते हो

तुम  जमाने  की  बात  करते हो

क्या कभी घर की बात करते हो

जाना  जाना   लगाए  रहते  हो

कभी  आने   की  बात करते हो

 

दिल में रहने की बात करते हो

पास आने  से  मगर  डरते  हो

दिल लगी है कि प्यार क्या मैं कहूँ

फ़कत बातों  से मुझपे मरते हो

 

आगे या पीछे तुम तो चलते हो

हाथ  में  हाथ  नहीं  धरते  हो

डर या संकोच क्या बताओ तुम्हीं

बड़े नैतिक हो या कि लगते हो

 

पवन तिवारी

२९/०४/२१

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