यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 15 अप्रैल 2022

जब जब मुझको दुत्कार मिली

जब जब मुझको दुत्कार मिली

जब जब मैं ठगा गया

मैंने कुछ शब्द लिखे 

 

जब भी मुझको गालियाँ मिली

जब जब मुझको ठोकर मारा

मैंने कुछ वाक्य लिखे

 

जब आवारा की उपाधि मिली

जब निकम्मा कह ताना मारा

मैंने कुछ छंद लिखे

 

जब प्रेम में त्रासदियाँ मिली

छल से प्रतिदिन प्रति क्षण मारा

मैंने कुछ गीत लिखे !

 

पवन तिवारी

२/०४/२०२१  

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