यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 22 मार्च 2022

नयी चुनौती रोज है आती

नयी चुनौती रोज है आती

नये – नये  किस्से बतलाती

हम उसमें उलझे रहते हैं

तब तक नयी कहानी लाती

 

ठोकर  देकर  है  समझाती

क्षणिक ख़ुशी देकर इठलाती

अक्सर चक्रव्यूह  रचती है

फँस जाने पर मगन हो जाती

 

बुनते  रोज  नये  सपने   हैं

उन्हें  तोड़ते  जो  अपने  हैं

फिर भी होनी  होकर रहती

छप ही जाते  जो छपने हैं

 

जीवन रोज अचम्भित  करता

नये – नये  वो  रंग  है भरता

उसे देख मोहित  हो जाते

यहीं से जीवन में दुःख झरता

 

फिर भी हर कोई जीना चाहे

यहाँ न कोई मरना चाहे   

सबको खाली हाथ है जाना

फिर भी सब कुछ भरना चाहे

 

पवन तिवारी

२५/०३/२०२१

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