यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 10 मार्च 2022

इस राजनीति की नीति

इस राजनीति की नीति बहुत खलती है

अब भारत की कोमल आशा जलती है

अपनों के कारण उर जब  दग्ध रहा है

कुछ  कहने आ  जाते  प्रारब्ध  रहा है

 

बलिदानों की पीठ पे जो हँसकर चढ़ते

निश्चित कलंक के दलदल में हैं वे धँसते

इतिहास के पन्नों में वे काले होते हैं

अपने ही वंशज से धिक् धिक् होते हैं

 

भुज के बल से मन के बल से चलना होगा

गंगा की पावन कल-कल सा बहना होगा

लेकर प्रकाश हम सविता से अधिंयारा छाटेंगे

निज ओज भरी कविता से हम सन्नाटा काटेंगे

 

जनहित के प्रतिरोधों में हम आगे होंगे

अंधियारों पग कोटि कोटि धम-धम होंगे

इस मिट्टी को शोणित क्या है भाल समर्पित

अपना अखण्ड जय राष्ट्र रहे सब अर्पित है

 

आओ मिलकर तीन रंग का  ध्वज फहरायें

प्रति - प्रति  से  आवाहन है जय जय गायें

हुंकारें  यूँ  भारत  के  स्वर  नभ तक जायें

दिनकर उदगण शशि भी सारे संग संग गायें

 

पवन तिवारी

२/०२/२०२१

 

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