यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 7 फ़रवरी 2022

जो तुझे याद वो आया होगा

जो तुझे याद वो आया होगा

पत्र को उसने जलाया होगा

रोया होगा वो यकीं है मुझको

चूम  के  फिर  वो  जलाया

 

ग़ैर के दिल में जो  पाया  होगा

चोट दिल जोर की खाया होगा

राह भर कोसा होगा वो तुमको

छल के तब दर्द को गाया होगा

 

प्रेम अपराध को समझा  होगा

अनवरत अश्रु भी बरसा होगा

कोसने लग गया होगा खुद  को

तुम्हारे साथ  को तरसा होगा

 

तुम हो यूँ  ही वो ये सोचा  होगा

इसलिए  तुमको न  रोका   होगा

अब  बड़े घर में जो रहने हो लगी

अपने गालों  को  वो नोचा होगा

 

पवन तिवारी २६/१२/२०२०    

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