यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022

दिन की आहट

सारा जहाँ खोया खोया है लगता है सोया सोया है

भोर मचलती है  चाँद भी रोया – रोया है

ओस तो चमक रही हवा भी प्यार से बही

सुमन लगे खिलने हँसने लगी मही

 

प्रात की सब माया निखरी हर काया

दिन का बन गया दिन जग स्वर में गाया

भोर सुहानी है बड़ी मस्तानी है

रात में सोते सब इसको जगानी है

 

 तृण भी गाते हैं सूरज आते हैं

रात है छुप जाती दिन मुस्काते हैं

भोर जी स्वागत है जग तुम्हें चाहत है

तुम्हरे पग पड़ना दिन की आहट है

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

०८/१२/२०२०

 

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