शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022

दिन की आहट

सारा जहाँ खोया खोया है लगता है सोया सोया है

भोर मचलती है  चाँद भी रोया – रोया है

ओस तो चमक रही हवा भी प्यार से बही

सुमन लगे खिलने हँसने लगी मही

 

प्रात की सब माया निखरी हर काया

दिन का बन गया दिन जग स्वर में गाया

भोर सुहानी है बड़ी मस्तानी है

रात में सोते सब इसको जगानी है

 

 तृण भी गाते हैं सूरज आते हैं

रात है छुप जाती दिन मुस्काते हैं

भोर जी स्वागत है जग तुम्हें चाहत है

तुम्हरे पग पड़ना दिन की आहट है

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

०८/१२/२०२०

 

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