यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 19 जनवरी 2022

आओ, शिव की शरण में आओ
















शिव को गाओ, शिव को पाओ

शिव के चरण दबाओ

आओ, शिव की शरण में आओ

 

सब कुछ खोकर, सब कुछ पाना

शिव से सीखने आओ

फक्कड़ होकर, जग को जाना

शिव की विधि अपनाओ

आओ, शिव की शरण में आओ

 

खुद को जान के, प्रभु को जाना

सहज मार्ग अपनाओ

इष्ट का मान सदा ही रखना

शिव संकल्प निभाओ

आओ, शिव की शरण में आओ 

 

पुत्र सिद्धियों,, के हैं  दाता

अर्धांगिनि हैं ,जग की माता

भक्त को स्वर्णपुरी दे डाले 

जय हो जगत विधाता

मिलकर सब जय गाओ

आओ, शिव की शरण में आओ

 

रावण इष्ट बनाया शिव को

राम भी पूजे हैं उस शिव को

सबको ही शिव प्यारे

सब सुख है वैरागी शिव को

शिव के गान सुनाओ

आओ, शिव की शरण में आओ

 

पवन तिवारी

सम्वाद – ७७१८०८०९७८

१५/१०/२०२०

 

 

 

 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें