यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 27 जनवरी 2022

अपनी कहानियों के तो कथ्य बोलते हैं

अपनी  कहानियों  के  तो  कथ्य  बोलते  हैं 

कुछ खुद नहीं है कहना सब तथ्य बोलते  हैं

लहज़ा  बता  रहा  है,  हैं  क्या   बोल  रहे  

इक आप कह  रहे  कि  वो सत्य  बोलते हैं

 

जिनको कहे हैं  स्थिर हर द्वार डोलते हैं

वो आदमी  अलग हैं  चुपचाप बोलते हैं

कुछ को समझने  में लग  जाता ज़माना

सारी ही रस्सियों के कुछ गाँठ खोलते हैं

 

रो - रो के  सही  हाल सुनाते जरुर हैं

आओ कि न आओ जी बुलाते जरूर है

कैसे   भी  हैं, पर  हैं, पक्के   वसूल   के

कि  मारने से  पहले खिलाते  जरुर हैं

 

पवन तिवारी

संवाद- ७७१८०८०९७८

२७/११/२०२०

   

 

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