यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 21 जून 2021

मैं हूँ रंग

मैं हूँ रंग तो तुम पिचकारी

कागज़ कलम सी अपनी यारी

नाव और पतवार सा रिश्ता

इक दूजे पर अपनी उधारी

 

तुम बिन मेरी अधूरी कहानी

मैं हूँ धान तो तुम हो पानी

तुम बिन तो अस्तित्व न मेरा

तुम संग ही जीवन की ठानी

 

बहुत ज़रूरी आज  है कहना

दूर नहीं अब  साथ है रहना

परिणय में इस प्रेम को बदले

प्रेम का ये  सर्वोत्तम  गहना

 

प्रेम से है हमें प्रभु तक जाना

प्रतिक्षण  हमें  नेह  बरसाना

अपने प्रेम से  बगिया  महके

कुछ  गायें  यूँ  प्रेम  तराना

 

पवन तिवारी

संवाद-७७१८०८०९७८ 

३०/०७/२०२०

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