यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 26 जून 2021

अपने तन को उल्लास दिया

 

अपने तन को उल्लास दिया

मेरे मन को  वनवास दिया

जीवन भर  अविश्वास  रहे

छल का ऐसा विश्वास दिया

 

जो अपने का भी ना होता

वह धीरे - धीरे सब खोता

खुद के चरित्र में दाग़ लगा

तन को घिस-घिस कर है धोता

 

पर के परिवार  पे छत डाला

मन के विपरीत में मत डाला

तन की अभिलाषा की खातिर

हिय के मयूर को  हत डाला

 

अब भटक रहा है वन-वन में

हो रहा तिरस्कृत जन-जन में

अपराध करे जो निज के संग

गिरकर मरना निज के मन में

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

०५/०८/२०२०  

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