शनिवार, 26 जून 2021

अपने तन को उल्लास दिया

 

अपने तन को उल्लास दिया

मेरे मन को  वनवास दिया

जीवन भर  अविश्वास  रहे

छल का ऐसा विश्वास दिया

 

जो अपने का भी ना होता

वह धीरे - धीरे सब खोता

खुद के चरित्र में दाग़ लगा

तन को घिस-घिस कर है धोता

 

पर के परिवार  पे छत डाला

मन के विपरीत में मत डाला

तन की अभिलाषा की खातिर

हिय के मयूर को  हत डाला

 

अब भटक रहा है वन-वन में

हो रहा तिरस्कृत जन-जन में

अपराध करे जो निज के संग

गिरकर मरना निज के मन में

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

०५/०८/२०२०  

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