यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 2 जून 2020

बीतना


मैं चाहता हूँ ज़िन्दगी
मेरे साथ बीते,
मुझसे बतियाते हुए ;
मेरा और अपना
सब कुछ साझा करते हुए.
किन्तु वह कट रही है,
किसी और के साथ !
और मैं अकेले बीत रहा हूँ.
यह अकेले बीतना ही
ज़िंदगी की त्रासदी है.
और इससे बचते हुए 
बीतना सुखद ज़िंदगी.


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

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