यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 9 मई 2020

उत्तर



 जब तुम जोर देकर कहते हो
मेरा विश्वास करो !
मुझे सुनते क्यों नहीं
मेरी बात ध्यान से सुनो
मैं सच कह रहा हूँ
कहते हुये खीझ जाते हो
कभी शांत हो खुद से करना संवाद
क्या तुम दूसरों पर करते हो भरोसा
कभी दूसरों को भी सुनते हो चुपचाप ध्यान से
तब तुम्हें पता चलेगा कि
तुम्हारे इन बातों का उत्तर
तुम्हारे अंदर ही है. 


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८  

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