यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

फूल के होंठ


फूल के होंठ याद करते हैं
बाग़ में सारे बात करते हैं

रातरानी भी चाहती तुझको  
रात  में  इंतज़ार  करते हैं

सब करें  इंतज़ार सूरज का
तेरी ख़ातिर वो रात करते हैं

इश्क में तू ही एक बन्दा है
जिसका सारा मलाल करते हैं

तेरी तहजीबो-अदा क़ातिल है
सारे तुझसे ही प्यार करते हैं

तेरी ख़ुशबू बदन के क्या कहने
तू जो गुज़रे  तो आह करते हैं

पवन जल-जल के मरे  जाते हैं
वो भी तुझसे  सलाह  करते हैं 


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८  



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