यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

तुम्हारे बारे में सोचा था


तुम्हारे बारे  में सोचा  था सुधर जाओगे
प्यार पाओगे तो पक्का है निखर जाओगे

इतना मजबूर तुम्हें देखा तो ये समझा मैं
आज जरूर  किसी  दोस्त के घर जाओगे

प्यार में हार के  कमाल  तुमने कर डाला
अब तो जीतोगे ही जाओगे जिधर जाओगे

प्रेम के प्यासे हो भटकोगे बहुत  भटकोगे
जाने कैसे कहाँ और कौन नगर  जाओगे



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gamail.com


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