यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

समझा था गणित


समझा था गणित जिन्दगी सो वो बिखर गयी
अच्छा हुआ कि  प्यार मिला  तो  सुधर गयी

जिस ज़िन्दगी की  ख़ातिर  सारे  जतन किये
होते  जतन  ही  पूरा  ज़िन्दगी  गुज़र  गयी

जिस ज़िंदगी से मिलने को भटका मैं उम्र भर
फिर  मौत  मिली  बोली  ज़िंदगी गुज़र गयी

भीतर  थी  मेरे  ज़िन्दगी  ढूंढा  किया बाहर
ज सच  पता  चला  तो  वो दूजे  नगर गयी

ज़िंदगी  से  ही  पता  पूछा   किया  उसका
चुपचाप एक  रोज  किसी   और  घर  गयी

अपने  को  खर्च  करना  हंसते  हुए  पवन
फिर ज़िन्दगी  कहेगी  ज़िन्दगी  संवर  गयी

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com  

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