यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 9 जनवरी 2020

यूं ही गाली देना


यूं ही गाली देना अपराध है कि नहीं
क्या कहते हो खुराफ़ात है कि नहीं

आँखों आँखों में बात हो गयी
ये भी इक संवाद है कि नहीं

तुम हो ख़ूबसूरत और क्या कहूँ
अच्छी खासी दाद है कि  नहीं


चुप्पियों में भी बहुत कुछ कह गये
मौन  भी  सम्वाद  है  कि नहीं

बिना  बात  के  बात बढ़ाना
ये बताओ फसाद है कि नहीं


बात बात पर टूट जाता है दिल
क्या कहूँ इसे बर्बाद है कि नहीं

गाली देता है  खुलेआम  देश को
अजी बोलो ना आज़ाद है कि नहीं



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८



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