यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 7 जनवरी 2020

प्यार नफरत दोस्त दुश्मन


प्यार नफरत दोस्त दुश्मन सब वक्त के गुलाम
वक्त  भी  हारा  एक के आगे नाम नाम नाम

नाम  कमाने  की  परिपाटी  नई   चल  रही है
नाम तो होगा बुरा क्या अच्छा करते जाओ काम

नेता जी  का  कहना है डर होना बहुत जरुरी है
नाम के आगे बद का विशेषण अच्छा है बदनाम

ख़ास काम को ख़ास ही करे अब  ऐसा दस्तूर नहीं
आज के दौर में ख़ास काम को कर जाते कुछ आम

आज की दुनिया में तो यारों गुड़ से गोबर मँहगा है
भंगारों  के   भी  मिलते  हैं  अच्छे  खासे  दाम

शकल  देखने  के  दिन  बीते  कंप्यूटर  से  काम
आज की दुनिया में क्या बकते किसको प्यारा चाम

धरम करम  अधिकाश  दिखावा उसके पीछे काम
सब  माया  के  पीछे  भागे  नहीं  चाहिए  धाम

पवन यहाँ सब कुछ स्वार्थ से बचे  नहीं भगवान
राम  के  मन्दिर में ही बैठ कर लूट रहे हैं राम


पवन तिवारी
सम्वाद - ७७१८०८०९७८


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