यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 17 जनवरी 2020

तुम्हें मैं क्यूँ आवाज़ देता हूँ


तुम्हें मैं क्यूँ आवाज़ देता हूँ
सोचता हूँ क्यूँ साथ देता हूँ

देश का तो मैं दे नहीं सकता
चलो अपना  ही राज देता हूँ

भरोसा  ही  कोई  नहीं देता
तुम्हें  अपनी मैं बात देता हूँ

बुझ चुके हो तुम जो अन्दर से
आओ तुमको मैं  आग देता हूँ

थक गये हो तुम बहुत दिन से
आओ  तुमको मैं  रात देता हूँ

फक्कड़ी हो गयी हो तो आओ
तुम्हें  स्थायी  साथ  देता हूँ

तुम्हारा मसअला सुलझा हो अगर
आओ कुछ  और  प्यार  देता हूँ

अकेलेपन से भर गया हो दिल
पवन   आओ  खुमार  देता हूँ



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८


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