यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 31 दिसंबर 2019

कुछ और नये खयाल


कोई उपकार नहीं चाहिए
कोई पुरस्कार नहीं चाहिए
मेरे पसीने भर का बस उतना
मुझे उधार नहीं चाहिए

लोगों को बहुत कुछ लगता है लगने दो
कौन क्या कैसे समझता है समझने दो
तुम अपनी धुन में रहो बस इतना समझो
ये दुनिया एक दीपक है इसे जलने दो

ये जलेंगे तो उजाले देंगे
करोगे प्यार तो छाले देंगे
फायदा अधिक जलने वालों से
आगे बढ़ने दो यही मशालें देंगे 

पवन तिवारी
संवाद - ७७१८०८०९७८  

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