यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 28 अक्तूबर 2019

कुछ ख़याल


आप भी सामने से देखने वाला नायाब धोखा खायें हैं
खंजर घोंपा है उसने आप समझते हैं सीने से लगाये हैं

ये रूतबा ओहदा शानो - शौकत और एक चीज पाये हैं
इस लोकतंत्र में ख़ाक छानी है और गालियाँ भी खाये हैं

आदमीयत की ढोल क्या पीटें खुद ही सुन लो ना
शहर  जल  रहा था  और  वे हँसते हुए आये हैं

प्यार में किस कदर किस मुकाम पर कहां लाये हैं
दूसरे के हो भी नहीं सकते कुछ इस कदर सताये हैं

सौ मरे पचास घर जले कुछ के बलात्कार हुये बाकी ठीक
और क्या कहूं उनके बारे में जो इस कदर सच बताये हैं

ये जो रुलाई में फ़क्त सिसकियाँ ही सिसकियाँ हैं
पवन  जज्बात  को  हम  इस  कदर  दबाए हैं

पवन तिवारी
सम्वाद – ७७१८०८०९७८ 

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