यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 1 अगस्त 2019

इधर उधर की तो बहुत हुई


इधर उधर की तो बहुत हुई आओ अब दिल की मैं बताता हूँ
ग़ज़ल  तो बहुत सुनी छोड़ो ना आओ अब ज़िंदगी सुनाता हूँ

लोगों के बारे में तुम्हारी राय बड़ी उम्दा है और खुद के बारे में
कभी सोचा नहीं ठीक है कोई बात नहीं चलो मैं तुम्हें बताता हूँ

ये जो तुम खाली पेट गरजते हो ना कितना सच है सोचता हूँ
पर जो भी हो कुछ तो है तुम में बस यही अनुमान लगाता हूँ

ये जो अदब पर बर्बाद हो रहे जानता हूँ आता हूँ मशविरा लिए
मगर  हिम्मत नहीं होती और बिन कहे चुपचाप चले जाता हूँ

ये गीत ये लच्छेदार भाषण ये ठुमकते व्यंग्य और मुस्काती ग़ज़ल
इनसे सब से बाहर निकलो आओ नदी के उस पार कुछ दिखाता हूँ

सुना है कि पवन तुम लोगों से अक्सर ही बहुत मिलते हो सच है
तो सुनो ना मेरे पास आओ जरा तुमको आज तुमसे ही मिलाता हूँ


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत

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