यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 30 जुलाई 2019

शहर ने तुमको कार दिया

शहर ने  तुमको   कार दिया
गाँव ने  हमको संस्कार दिया
धूल  ने हमको आबाद किया
धुएं ने  तुमको  बर्बाद किया

शहर  ने दी  गुलामी  की  भाषा
गाँव  सिखाया माटी की परिभाषा
आप ने किया माँ-बाप से किनारा
गाँव ने बनाया माँ-बाप का सहारा

शहर सिखाता बनो बॉस का प्यारा
गाँव सिखाता  बनो घर का दुलारा
शहर  कहे  पहले  अपने को देखो
गाँव  कहे  पहले  अपनों को देखो

माना कि तुम समन्दर सरिता मगर हम भी
माना कि तुम विशाल पर कम नहीं हम भी
सरिता का जल तो जग में हर कोई पी सके
सोचो  तुम्हारा  जल  मगर कोई न पी सके

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत
  

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