यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 14 जून 2019

माँ का मिला आशीष तो फिर ऐसा अंजाम हुआ


माँ का मिला आशीष तो फिर ऐसा अंजाम हुआ
मिट्टी  वाले  धंधे  का  सोने  सा  दाम  हुआ


चला  झूम  मैं तभी  डगर  में  काँटा एक चुभा
दर्द में लिपटा शब्द जो निकला माँ का नाम हुआ


वर्षों बाद मिला अम्मा से झुककर नमन किया
सर  पर  हाथ  रखा  तो जैसे चारो धाम हुआ


था गरीब अम्मा  का बेटा बस आशीष मिला
फलित हुआ आशीष देश में नाम तमाम हुआ


जिसने भी माँ को पूजा माँ का सम्मान किया
बुरे  समय  में  भी उसका बिगड़ा काम हुआ


जिसने भी है इस जग में माँ का अपमान किया
कर्म  भाग्य  भी दुत्कारा उसे जग बदनाम हुआ


माँ  की  आज्ञा  का जो पालन करता रहा सदा
उसके  हक़  में  दुर्लभ से दुर्लभ  परिणाम हुआ


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com


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