यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 21 मई 2019

आगे – पीछे ही सबकी बारी है


आगे – पीछे  ही सबकी बारी है
आज उसकी तो कल तुम्हारी है

प्यार  में सब्र नहीं होता उसे
रात भी अपनी बहुत भारी है

कितने ज़ख़्मी फ़कत इशारों से
आँख  कहते  जिसे  कटारी है

उसकी कटती हैं चैन से रातें
रकीबों  ने तो बस गुज़ारी है

प्यार में हम ही जले लगता है
मगर  वहां   भी  बेकरारी  है

किसी के रहम से मरना अच्छा
ज़िन्दगी  वो  फ़क़त  उधारी है

भला करना कोई एहशान नहीं
आदमी  की  ये जिम्मेदारी है

सब पे भारी जो पवन रिश्ता है
दोस्ती  प्यार  से  भी प्यारी है  

पवन तिवारी
संवाद - ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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