यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 16 मई 2019

सुपथ पथ कुपथ




सुपथ पर चला था
आवश्यकताओं के ढकेल दिया
पथ पर
कुछ ही दिन तक
चल सका था
धकेले हुए पथ पर
कि एक दिन नीची खाईं में
सुंदर चमकती हुई लालच दिखी
एक क्षण के लिए नयन
उस पर ठहरे ही थे
कि झांवर आ गयी और
सीधा उस खाईं में जा गिरे
लालच के बगल में एक टीला था
उस पर लिखा था
कुपथ में आप का हार्दिक स्वागत है  



पवन तिवारी
संवाद - ७७१८०८०९७८

अणुडाक- poetpawan50@gmail.com

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