गुरुवार, 16 मई 2019

सुपथ पथ कुपथ




सुपथ पर चला था
आवश्यकताओं के ढकेल दिया
पथ पर
कुछ ही दिन तक
चल सका था
धकेले हुए पथ पर
कि एक दिन नीची खाईं में
सुंदर चमकती हुई लालच दिखी
एक क्षण के लिए नयन
उस पर ठहरे ही थे
कि झांवर आ गयी और
सीधा उस खाईं में जा गिरे
लालच के बगल में एक टीला था
उस पर लिखा था
कुपथ में आप का हार्दिक स्वागत है  



पवन तिवारी
संवाद - ७७१८०८०९७८

अणुडाक- poetpawan50@gmail.com

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