मंगलवार, 14 मई 2019

अजब फितरत मोहब्बत


अजब फितरत मोहब्बत की कि मैं क्या आन बैठा हूँ
जो  नफरत करता  है  मुझसे उसी को चाह बैठा हूँ 

वक़्त  अपना  रहे  कैसा अदा तो खानदानी है
फटी चादर अकेली है कि फिर भी तान बैठा हूँ

वफाई  बेवफ़ाई  शायरी  करनी  जिसे कर ले
हो गयी जब मोहब्बत तो करूंगा ठान बैठा हूँ

मोहब्बत वो मोहब्बत क्या न क़ुर्बानी की कूवत हो
कहाँ  डर  जीने  मरने का कि लेके जान बैठा हूँ

मोहब्बत  की  अमर  गाथा लिखी कुर्बानियों ने है
कि सदियों की विरासत है जो हो अब मान बैठा हूँ

जरा  सी बात पर मेरी अना जो जाग जाती थी 
भरी महफ़िल में महबूबा से खा अपमान बैठा हूँ 



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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