यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 4 मई 2019

हम कई बार


हम कई बार मजबूरियों की सुन के जाते हैं
दिल तो चाहता नहीं पर कदम मिलने जाते हैं

वो सामने देखकर भी हमें बुलाते नहीं हैं
एक हम ही हैं बस बेशर्म से चले जाते हैं

लोग कहते हैं टूटे दिल कभी जुड़ते नहीं
एक हम हैं मानते ही नहीं सिलने जाते हैं

प्यार है बेहयाई है कमजोरी है कि क्या है
क्यों चुपचाप उसके कदमों में गिरे जाते हैं

प्यार में झुकना तो सजदा करना है पवन
और लोग कहते हैं कि प्यार में मरे जाते हैं



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com


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