यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 21 अप्रैल 2019

Lonely Soul's Lament















मेरी कविता 'देह के अंदर बाहर' का अंग्रेजी अनुवाद पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त श्री शिवकुमार शर्मा जी द्वारा.....



I am a lonely being;
I am not the crowd;
I am just myself.
I don't have to peep here and there;
I live just inside this frame;
Which is not my temple alone but my   universe !
Outside this frame I have no home.
Can't remember since when I am in this frame.
Ever since this body exists I am in it ;
Now the frame is doing strange activities.
Changes coming fast in the body mind complex at an astounding pace
All of a sudden I get perplexed
Looks  as  if the entire universe is shaking with an earthquake.
Don't want to peep outside.
Nor I want prominence.
Just want to come out of the world of this body.
Have no Temple outside this frame.
Can't tolerate anymore this body's futile   world .
It  is  intolerable  !
Want to go out even from its shadow.
Want to come near my own self.
Though I have no abode outside,
Still I would like to make a new abode or something like an abode.
I just want to come out.

Poet Pawan Tiwari
Cell – 7718080978
Translater – Mr. Shiv Kumar Sharma


अनुवादक परिचय - शिवकुमार शर्मा जी अंग्रेजी साहित्य से परास्नातक हैं. वर्तमान मुंबई में रहते हैं. वह कुछ दिनों तक गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में प्राध्यापक भी रहे. बाद में वे भारतीय राजस्व सेवा के लिए चुन लिए गये. दिल्ली से मुख्य आयकर आयुक्त के पद से सेवा निवृत्त होने के बाद आध्यात्मिक साहित्य पर उनका अध्ययन चल रहा है. फिलहाल वे १९वीं एवं २०वीं शताब्दी की भारतीय संत परम्परा पर एक पुस्तक [ अंग्रेजी ] का संकलन एवं सम्पादन कर रहे हैं.




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