यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 4 अप्रैल 2019

बदल रहा है वक़्त


बदल  रहा  है  वक़्त  साथ में रिश्ते नाते भी
अपने ही अपनों  को  छलते  आते  जाते भी
स्वार्थ  ऊपर रिश्ते  नीचे किसको क्या कहना
हंसकर आप की निंदा करते आप की खाते भी

संबंधों  का जो अवलम्ब था वो ही टूट गया
विश्वासों की डोरी थी जो साथ ही छूट गया
संवेदना  पर  लालच  की  सवारी हो गयी
ऐसे  में  मानवता  वाला घड़ा ही फूट गया

अर्थ की खातिर दुश्मन से मिताई हो गयी
भाई  से  भाई  की  ही  रुसवाई हो गयी
कोई  रिश्ता  स्थिर  नहीं  जमाने में रहा
दौलत  खातिर  बाप से ही ढिठाई हो गयी

जो भी रिश्ता रखता सोच के स्वार्थ खातिर ही
लुट  जाने पर जान पड़े कि था वो शातिर ही
ऐसे में अपने  पथ पर तुम सजग रहो हरदम
देखना मंजिल मिल जायेगी तुमको आखिर ही


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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