यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 2 अप्रैल 2019

उसने क्या दोस्त कहा


उसने क्या दोस्त कहा और हमने मान लिया
फरेब  रिश्ते  में यूँ दोस्त  ने ही  जान लिया

जितने  भी वादे किये हँस के फिर तोड़ दिए
उसने विश्वास को नाचीज़ सा सामान लिया

होगी बेअदबी बड़ी उसको फ़क़त दोस्त कहूँ
क़ुसूर  मेरा मगर उसने सब अपमान लिया

अपनी चाहत उसने  इस  कदर  वीरान किया
मुझे घर देके मगर ख़ुद तो बस मकान लिया

इस क़दर प्यार से मुझको बड़ा मकान दिया
और  चुपचाप  उसने  इश्क  की दुकान लिया 

वो नहीं लड़ सका तो प्यार से बर्बाद किया 
प्यार सबसे बड़ा हथियार पवन मान लिया



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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