यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 10 अप्रैल 2019

तेरे वादे पे दिल


तेरे  वादे  पे दिल  मेरा  यार आ गया
सच कहूं देखा तुझको तो प्यार आ गया

“मैं हूँ ना” इतना जो तुमने हँस के कहा
सुनते  ही  मेरे दिल को करार आ गया

देखा तुझको  जो  यूँ खुल के हँसते हुए
तेरी  जुल्फें  संवारूँ  दुलार  आ  गया

तुमने  शरमा  के पूछा मोहब्बत है जो
लब  पे  बेसाख्ता  इक़रार  आ  गया

इस  उमर  में हसीना  जो हँस भर भी दे
पवन लगता है दिल में कि ज्वार आ गया



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

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