यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 29 जनवरी 2019

तुम बुलाओगी


तुम  बुलाओगी  तो मैं चला आऊँगा
जाना  तो  चाहता लौट पर आऊँगा
तुम जरा प्रेम का एक सहारा तो दो  
अपने घर में ही समृद्धि मैं उपजाऊंगा

यह  गृहस्थी  तुम्हारे बिना कुछ नहीं
तुम ही लक्ष्मी तुम्हारे बिना कुछ नहीं
प्रेम की शक्ति जिसको भी मिलती रहे
लाखों दुख उसके खातिर भी हैं कुछ नहीं

एक  दूजे  के  दुख ग़र हमारे रहे
सारे दुख बनके सुख तब हमारे रहे
फिर तो दुनिया में किस की ना परवाह रहे
हम  तुम्हारे  रहे  तुम  हमारे रहे

आओ इक दूजे के आंसू पी लें प्रिये
सात  जन्मों से जैसे हो साथ जिये
साथ  छूटे  नहीं  मौत के बाद भी
हो सफर अपना हाथों में हाथ लिये

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

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