यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 31 जनवरी 2019

देख कर उसको मैं गीत लिखने लगा


देख कर उसको मैं गीत लिखने लगा
प्यार के  नाम पर गीत बिकने लगा
वह भी सुनती रही दिल लगाकर मुझे
उसकी खातिर मैं मंचों पे दिखने लगा

मेरे  हर छन्द  पर वह बिखरने लगी
मेरी  कविता में ढल के निखरने लगी
उसको यह सब पता ही न थी बावरी
मेरी हर रचनाएँ उस पर सँवरने लगी

मुझको सुनने की खातिर वो आती रही
रात  भर  जाग  कर  गुनगुनाती रही
मित्र जब  भी मिलें  उनसे वो पूछती
मिल भी जाती तो बस  शरमाती रही

उसको बस देखकर ही मैं कवि हो गया
उसकी नजरों में मैं दिल का रवि हो गया
वह  मेरी  चाँदनी  उससे   कैसे  कहूँ
मैं रहा मैं  नहीं  उसका छवि हो गया


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com


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