यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 18 जनवरी 2019

प्यार मुझे तुमसे


प्यार मुझे  तुमसे चलो मान लिया
मैंने ही झूठ कहा  चलो मान लिया

तुम्हारे  प्यार  में  बदनाम  हुआ
बहुत तुमने  सहा चलो मान लिया

कहो  तुम  जो  भी बहुत अच्छा है
मैं  ही  बुद्धू  रहा चलो मान लिया

प्रेम में शेर भी सियार हुए जाते हैं
मैं ही हूँ गदहा चलो  मान  लिया

वो    देती    थी   बद्दुआ   ताने
कि  रोई  बारहा  चलो मान  लिया

जिसको पड़ती है वही जाने  पवन
तुम्हें ये कहकहा चलो  मान लिया

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com  

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