यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 28 अक्टूबर 2018

मेरे लिए लिखना









मेरे लिए लिखना

मेरे ज़िंदा होने का सबूत है
मैं ज़िंदा रहना चाहता हूँ,
मेरे लिए लिखना एक नशा है
एक जिम्मेदारी भी है
जिन दिनों मैं
नहीं लिख रहा होता हूँ
तब मैं मर रहा होता हूँ
थोड़ा - थोड़ा घुट-घुट कर
मैं गूँगा नहीं हूँ
मैं बोल सकता हूँ
वो भी अंदर से
इसलिए भी लिखता हूँ.

देश, काल और परिस्थितियों
के साथ होना चाहता हूँ
सम्पूर्णता में व्यक्त
धूल के संघर्ष से लेकर
फूल के सौन्दर्य तक 
पसीने की गाथा के साथ
अधरों पर अनायास 
उभर आती मुस्कान को
भी बनाना चाहता हूँ 
जिन्दगी का सच्चा दस्तावेज़ 
इसलिए भी लिखता हूँ

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक - poetpawan50@gmail.com





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