गुरुवार, 30 अगस्त 2018

गीत सबके













गीत  सबके  स्वरों  पर हैं भाते नहीं
गीत  के  मार्ग पर सब हैं जाते नहीं
गीत  तो  प्रेम का सबसे उद्दात स्वर
उर को पिघला दे पर उर से गाते नहीं

हर तरुण चाहे आसक्ति  का वर मिले
उम्र  भी  चाहे अनुराग  का घर मिले
सब  में  होता कहीं ना  कहीं गीत है
गीत बिन प्रेम का ना कोई स्वर मिले

जिनको  अवलम्ब  विश्वास  का मिल गया
जिनको अनुरक्ति का प्रिय मदन मिल गया
ऐसे   में   गीत   के   नाद   गूँजेंगे  ही
गीत  जिससे  मिला उसको प्रभु मिल गया




पवन तिवारी
संवाद -     ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com


गीत पीड़ा का स्वर


गीत पीड़ा का स्वर गीत अनुराग का
गीत पूजा का स्वर , गीत श्रृंगार का
गीत तो हर व्यथा की महौषधि भी है
गीत माध्यम है , अनचाहे संवाद का

गीत सम्वेदना , लोक  के रीति  की
गीत साहित्य,जीवन के हर प्रीति की
गीत  ही   आदमी  को रखे आदमी
प्रेम ही  मूल  है  गीत के नीति की

गीत बिन ज़िन्दगी , ज़िन्दगी ना रहें
गीत बिन  गेयता, छन्द  भी ना रहे
गीत ने  ही ,  सँवारा  है संगीत को
गीत बिन हम तो क्या देवता ना रहे  

पवन तिवारी
सम्पर्क – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com   

मंगलवार, 28 अगस्त 2018

फूल भी जीवन शूल भी जीवन


























फूल भी जीवन शूल भी जीवन
सुख भी जीवन दुःख भी जीवन
कैसे  व्याख्या  सहज  करोगे
जीवन  के  भीतर भी जीवन

समय के साथ बीतता जीवन
प्रति यम, प्रहर,घड़ी है जीवन
जितने में कर सके हो अच्छा
उतना तुम्हारा  अच्छा जीवन

शून्य भी है अनंत भी जीवन
देखा  भोगा  भी  है  जीवन
जीवन की व्याख्या है दुर्लभ
सबका अपना मत है जीवन

मैं कवि हूँ कविता मेरा जीवन
एक - एक अनुभूति है जीवन
परहित और राष्ट्रहित  में जो
जिया उसी का सच्चा  जीवन

जैसी बुद्धि है, वैसा जीवन
जैसी व्याख्या वैसा जीवन
जो जैसा , परिभाषा वैसी
लोग अनंत,अनंत है जीवन


पवन तिवारी
अणु डाक - poetpawan50@gmail.com
संवाद- 7718080978
  


रविवार, 26 अगस्त 2018

पढ़ा–लिखा हो देश हमारा


























पढ़ा–लिखा परिवार हमारा
चमके चहुँ शिक्षा का तारा
शिक्षा है तो सब संभव है
शिक्षा जीवन का उजियारा

घर - घर में शिक्षा की बाती
शिक्षा सबकी  बन जाए थाती
अन्धकार  बिन  शिक्षा जीवन
बिन शिक्षा सद दृष्टि न आती

सुनना - गुनना  है जीवन को
तो पढना लिखना जन-जन को
जो  शिक्षा पूरे मन से गहेगा
वो समझेगा जन गण मन को

हम चाहें जो  भारत न्यारा
विश्व  गुरु हो , देश हमारा
तो सब मिलकर पढ़ो पढ़ाओ
पढ़ा - लिखा हो देश हमारा

पवन तिवारी
सम्वाद – ७७१८०८०९७८
अणुडाक - poetpawan50@gmail.com  

शनिवार, 25 अगस्त 2018

इस क़दर प्यार



इस क़दर प्यार से डर ठहर जाइए
प्यार तो करिए थोड़ा निखर जाइए

बात ये बात वो, कहना ये कहना वो
अटकेंगे कब तलक, प्यार पर जाइए

शाम में, बाद में , मैं बताता हूँ कल
ये है क्या कहिये हाँ या मुकर जाइए

दिन गुजर ही गया रात होने को है
आप से होगा ना , आप घर जाइए

देख लूँगा , करूँगा , ये हो जाएगा
या तो चुप रहिये या कर गुज़र जाइए

जो बुरी लगती है जिन्दगी ये पवन
दोस्ती कीजे या , जीत कर  जाइए

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail

गुरुवार, 23 अगस्त 2018

उठो समय मत व्यर्थ गँवाओ
















उठो समय मत व्यर्थ गँवाओ
जीवन  को  उत्कर्ष  बनाओ
यूँ ही जय - जयकार न होती
सत्य  कर्म  उद्दात   बनाओ

जीवन तो प्रतिक्षण है घटता
पर इच्छा का बोझ है बढ़ता
ताल मिला जो समय की गति से
तब ही जीवन पर्व है बनता

लालच पुष्प तो प्रतिदिन आता
ईर्ष्या  ,पाप को संग  ये लाता
जब  धैर्य  को धारण कर पाए
तब शनै – शनै  है  धर्म आता

जब  धैर्य,  धर्म  संगी   होंगे
फिर  सही  मार्ग पर हम होंगे
जीवन  के  पुष्प  खिलेंगे तब
तब  सच्चे  मानव  हम  होंगे

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com


मंगलवार, 21 अगस्त 2018

अच्छों से पंगे लेता है




अच्छों से पंगे लेता है बेकार में अक्सर
अच्छी बात कहता है बकवास में अक्सर

जब भी बुलाऊँ उसको तो आता नहीं है वो
आता है बिन बुलाये कुछ आस में अक्सर

अब की किया मतदान वो बेकार न होगा
हर बार गलत होता हूँ सरकार में अक्सर

मैं कह भले जाता हूँ हो पाता नहीं तटस्थ
मैं फँस ही जाता हूँ पराये ख़ास में अक्सर

वैसे तो दिखाता “पवन” उसमें बड़ी अना
झुकते हुए देखा उसे , दरबार में अक्सर

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com


बुधवार, 15 अगस्त 2018

नए उमर के नये कवि अब प्यार मोहब्बत लिखेंगे

















नए उमर के नये कवि अब, प्यार मोहब्बत लिखेंगे
गाँव जवार तो पिछड़ा लगता सिटी शहर ही लिखेंगे
देशभक्ति और राष्ट्रवाद उनके लिए केवल हैं जुमले
ऐसों से उम्मीद करें क्या भगत , सुभाष ये लिखेंगे

जिनके कविता का आँगन बस जिस्म तलक ही फैला है
जूलियट पश्चिम देख रहे वे, दिखें न पूरब लैला है
सरोकार  से डरे हुए जो , रोजगार पर मरे हुए जो
कविताई में धर्म - भेद है, कवि भी हुआ कसैला है

लेखन को खुद लेखक ने ही दायाँ-बायाँ कर डाला
काले - काले अक्षर को भी हरा केसरिया कर डाला
लोक गौण है लोकतंत्र में सत्य साफ़ मैं कहता हूँ
लेखक का भी औने-पौने मिलकर सौदा कर डाला

पत्रकारिता की लाश पर , नया वृक्ष है उगा मीडिया
कहलाता स्तम्भ था चौथा उसको इसने किया डांडिया
अंगरेजी  चश्में  लोग जो,  लगे देखने  भारत  को  
ऐसे में भारत की लाश पे खडा हो गया नया इंडिया

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com

सोमवार, 13 अगस्त 2018

सफर कट रहा था
























सफर कट रहा था,ज़िगर कट रहा था
सपनों का इक-इक नगर कट रहा था

किसी को या तुमको मैं क्या-क्या बताऊँ
कहाँ  से  कहूँ  और क्या - क्या सुनाऊँ
कहूँ  मैं  जहाँ  से  वहीं  आँसू  छलके
सोचूँ  कि  हँस  के  या  रो के सुनाऊँ

सफर कट रहा था,ज़िगर कट रहा था
सपनों का इक-इक नगर कट रहा था

सुना के भी क्या कि, ज़मानत मिलेगी
दिल को भी दिल की अमानत मिलेगी
वादों  के  धोखों  में  बिखरी  जवानी
फिर  सच्ची  क्या  जिंदगानी मिलेगी

सफर कट रहा था,ज़िगर कट रहा था
सपनों का इक-इक नगर कट रहा था

 चलो आजमाते हैं  फिर  ज़िंदगी को
चलो  झुठलाते  हैं  खुदकुशी   को
बहुत कुछ सहा है बहुत कुछ सुना है
चलो  आजमाते हैं फिर ज़िंदगी को

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmai.com