मंगलवार, 21 अगस्त 2018

अच्छों से पंगे लेता है




अच्छों से पंगे लेता है बेकार में अक्सर
अच्छी बात कहता है बकवास में अक्सर

जब भी बुलाऊँ उसको तो आता नहीं है वो
आता है बिन बुलाये कुछ आस में अक्सर

अब की किया मतदान वो बेकार न होगा
हर बार गलत होता हूँ सरकार में अक्सर

मैं कह भले जाता हूँ हो पाता नहीं तटस्थ
मैं फँस ही जाता हूँ पराये ख़ास में अक्सर

वैसे तो दिखाता “पवन” उसमें बड़ी अना
झुकते हुए देखा उसे , दरबार में अक्सर

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें