गुरुवार, 30 अगस्त 2018

गीत सबके













गीत  सबके  स्वरों  पर हैं भाते नहीं
गीत  के  मार्ग पर सब हैं जाते नहीं
गीत  तो  प्रेम का सबसे उद्दात स्वर
उर को पिघला दे पर उर से गाते नहीं

हर तरुण चाहे आसक्ति  का वर मिले
उम्र  भी  चाहे अनुराग  का घर मिले
सब  में  होता कहीं ना  कहीं गीत है
गीत बिन प्रेम का ना कोई स्वर मिले

जिनको  अवलम्ब  विश्वास  का मिल गया
जिनको अनुरक्ति का प्रिय मदन मिल गया
ऐसे   में   गीत   के   नाद   गूँजेंगे  ही
गीत  जिससे  मिला उसको प्रभु मिल गया




पवन तिवारी
संवाद -     ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com


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