रविवार, 2 सितंबर 2018

हाथ का मैल पैसा


न उसका आदर करना, उसी की चाह करना
हाथ का मैल पैसा , उसी  पैसे  पर  मरना
पैसे की  ख़ातिर सारी जद्दोजहद , पैंतरेबाज़ी
फिर कहें यार वे बोलें कि क्या,पैसे पर मरना

आना जाना है पैसा,रिश्तों का दुश्मन पैसा
चाहे जैसे हो कैसा,मगर फिर चाहिए पैसा
पैसा  है  दोस्त  बड़ा , पैसा रिश्ता नाता
बना  देता है अच्छा , बिगड़े हालात पैसा

न पैसा हो , बदल जाती,  निगाहें रिश्तों की
न हो पैसा तो लगती है,जिन्दगी किस्तों की
चाहिए पैसा तो , पैसों को भी सम्मान देना
करो वन्दन रमा पर भी लिखे हुए पृष्ठों की

पवन तिवारी
सम्वाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com


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