यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 19 नवंबर 2017

पास जब पैसे नहीं होते




















पास जब पैसे  नहीं होते 
लोग फिर लोग नहीं होते

ख़ूब  देखा है जी  करके
यूँ विश्वास डिगे नहीं होते

जिन्दगी  थम  जाती है अचानक
जिस दिन कुरते में जेब नहीं होते

साथ छूटने का डर तब ज्यादा होता है
जब कभी हमारे खाते अमीर नहीं होते

नज़रें,नजरिये बदल जाते हैं बेसाख्ता
जब  कभी  बटुए  गरम  नहीं  होते

दौलत  जब  दामन  छुड़ाती  है  तो
अंदर के जज्बात तक अपने नहीं होते


और जब ये  साथ  नाचती है तो
क्या बताऊँ गैर भी गैर नहीं होते

धन्यवाद ईश्वर का ऐसे हालात में
बस  जो  दोस्त  हैं गैर नहीं होते


पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978

poetpawan50@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें