रविवार, 19 नवंबर 2017

पास जब पैसे नहीं होते




















पास जब पैसे  नहीं होते 
लोग फिर लोग नहीं होते

ख़ूब  देखा है जी  करके
यूँ विश्वास डिगे नहीं होते

जिन्दगी  थम  जाती है अचानक
जिस दिन कुरते में जेब नहीं होते

साथ छूटने का डर तब ज्यादा होता है
जब कभी हमारे खाते अमीर नहीं होते

नज़रें,नजरिये बदल जाते हैं बेसाख्ता
जब  कभी  बटुए  गरम  नहीं  होते

दौलत  जब  दामन  छुड़ाती  है  तो
अंदर के जज्बात तक अपने नहीं होते


और जब ये  साथ  नाचती है तो
क्या बताऊँ गैर भी गैर नहीं होते

धन्यवाद ईश्वर का ऐसे हालात में
बस  जो  दोस्त  हैं गैर नहीं होते


पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978

poetpawan50@gmail.com

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